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Saturday, June 21, 2025

पढ़ाई को रुचिकर बनाने की पहल

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विजय गर्ग

राष्ट्रीय शिक्ष नीति 2020 के प्रभाव मैं आने के बाद से भारतीय शिक्षा प्रणाली एक आमूलचूल सुधार की प्रक्रिया से गुजर रही है। इस नीति के लागू होने के बाद से ही देश की शिक्षा पद्धति में अनेक नवाचार देखने को मिल रहे हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा कक्षा एक से 12 तक के लिए हाल में विशेष शिक्षण माड्यूल प्रस्तुत किए गए हैं। इन माड्यूलों में डिजिटल तकनीक, स्वच्छता, कोविड-19, पर्यावरण, खेल, भारतीय लोकतंत्र विकसित भारत, संविधान दिवस मानसिक स्वास्थ्य, सांस्कृतिक विरासत जैसे विविध विषय शामिल हैं। एनसीईआरटी के अनुसार इन माड्यूलों का उद्देश्य कक्षा शिक्षण को और अधिक प्रभावी रोचक एवं सुग्राह्य बनाना है। इन्हें कहानियों, प्रश्नोत्तरी और संवादात्मक गतिविधियों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है, ताकि छात्रों में रचनात्मक सोच और सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा मिले। वस्तुतः ये शिक्षण माड्यूल न केवल शैक्षिक नवाचार को दर्शाते हैं, अपितु भारतीय विद्यालयी शिक्षा प्रणाली को छात्र-केंद्रित, विषयानुकूल और समसामयिक बनाने की दिशा में एक समयोचित कदम भी हैं। इन माड्यूलों का उद्देश्य शैक्षणिक विषयवस्तु को अधिक जीवनोपयोगी बनाने के साथ- साथ शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को छात्र की जिज्ञास और अनुभवों से जोड़ते हुए पठनीय और रुचिकर बनाना भी है। इन माड्यूलों की रचन तीन स्तरों प्रारंभिक, मध्यम और माध्यमिक के अनुसार की गई है, जिससे कि छात्र की उम्र, समझ और अनुभव के अनुरूप विषय-वस्तु प्रस्तुत की जाए।

समग्र शिक्षा को साधने वाले माइयल एनसीईआरटी द्वारा प्रस्तुत कुछ प्रमुख माड्यूलों पर दृष्टि डालें तो ‘डिजिटल इंडिया’ पर केंद्रित शिक्षण माड्यूल विद्यार्थियों को समकालीन तकनीकी परिदृश्य से जोड़ने के प्रयास को केंद्र में रखता है। इसमें डिजिटल साक्षरता, ई-गवर्नेस आनलाइन सेवाओं, साइबर सुरक्षा तथा डाटा सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं को समाहित किया गया है। यह माड्यूल न केवल बच्चों में तकनीक के प्रयोग की सही समझ पैदा करता है, अपितु उन्हें डिजिटल नागरिकता की नैतिकता और उत्तरदायित्व का भी बोध कराता है। यह माड्यूल राष्ट्रीय विकास के एक अत्यंत महत्वपूर्ण अभियान को शिक्षा से जोड़ने का कारगर माध्यम बन सकता है। ‘स्वच्छ भारत’ से संबंधित माड्यूल विद्यार्थियों में स्वच्छता, स्वास्थ्य और सामाजिक दायित्वबोध की भावना को विकसित करने हेतु निर्मित किया गया है। यह छात्रों को स्वच्छता को जीवन पद्धति के रूप में अपनाने हेतु प्रेरित करता है विद्यालय और समुदाय देनों स्तरों पर सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने वाला यह प्रयास व्यवहार में परिवर्तन की दृष्टि से अत्यंत प्रभावी है। ‘स्वच्छता जादूगर’ नामक एक चरित्र के माध्यम से सभी जानकारियां देना इस माड्यूल को रोचक भी बनाता है।

आज जब जलवायु परिवर्तन विश्व के समक्ष सबसे बड़ी समस्या बनकर उपस्थित है, तब पर्यावरण संरक्षण केवल विज्ञान का विषय न रहकर समाजिक चेतना का अनिवार्य पक्ष बन गया है। पर्यावरण संबंधी माड्यूल में जल संरक्षण, जैव विविधता, रीसाइकल, प्रदूषण नियंत्रण तथा जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को सरल, परंतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। इस मोड्यूल के अंतर्गत एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए छात्रों में पेड़-पौधों के प्रति जागरूकता लाने का रचनात्मक प्रयास किया गया है।

भारतीय समाज में समझ के स्तर पर यह समस्या रही है कि यहाँ पढ़ाई और खेलकूद की परस्पर विरोधी गतिविधि मानकर देखा जाता रहा है। यद्यपि समय के साथ इस सोच में परिवर्तन आया है, किंतु अब भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। एनसीईआरटी का खेलों से संबंधित माड्यूल इस संबंध में महत्वपूर्ण है। इस माड्यूल के माध्यम से छात्रों को भारत की खेल- संस्कृति, विशेषतः एशियाई खेलों में प्राप्त उपलब्धियाँ तथा ‘खेलो इंडिया’ जैसी योजनाओं की शैक्षिक एवं राष्ट्रीय महत्ता से अवगत कराया गया है। यह माइयूल केवल शारीरिक शिक्षा तक सीमित न रहकर खेल के समाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक आयामों को भी प्रस्तुत करता है, जिससे यह पाठ्यचर्या की बहुआयामी बनाता है।

भारतीय संविधान के मूल्यों को प्राथमिक शिक्षा से ही बच्चों के मानस में रोपित करना लोकतंत्र की दीर्घकालिक सुता के लिए अनिवार्य है। एनसीईआरटी का लोकतंत्र से संबंधित माड्यूल बच्चों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे मूलभूत संवैधानिक मूल्यें से परिचित कराता है। इसके माध्यम से विद्यार्थी अपने अधिकारों को समझने के साथ-साथ अपने मौलिक कर्तव्यों के प्रति भी सजग होंगे। संदेह नहीं कि यह शिक्षण माड्यूल न केवल भारत के लिए कर्तव्यबोध से युक्त उत्तम नागरिक निर्मित करने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा, अपितु भारतीय लोकतंत्र के आधार को और अधिक सुदृढ़ता भी प्रदान करेगा मानसिक स्वास्थ्य पर केंद्रित शिक्षण माड्यूल विद्यार्थियों में भावनात्मक जागरूकता, आत्म-नियंत्रण और सहानुभूति जैसे सामाजिक भावनात्मक कौशलों के विकास को प्रोत्साहित करता है रीवा नामक एक छात्रा की कहानी के माध्यम से यह माड्यूल विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान करने और सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया से परिचित कराता है।

इसी प्रसंग में ‘टेली-मानस’ जैसी राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन की जानकारी प्रदान की गई है, जिससे विद्यार्थियों को यह समझने में सहायता मिलेगी कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए सहायता प्राप्त करना सहज और सुलभ है। यह माड्यूल शिक्षकों को भी विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील बनाने और एक सहायक वातावरण सृजित करने में मार्गदर्शन प्रदान करता है।

संस्कृतिक विरासत से संबंधित माड्यूल भारत की बहुलताबादी संस्कृति, कला, संगीत, स्थापत्य, लोक परंपराओं आदि की शिक्ष में समाहित करता है। बच्चों को केवल सूचनात्मक ज्ञान ही नहीं, अपितु सांस्कृतिक अनुभवों से जोड़ना इसका उद्देश्य है। इससे उनमें अपनी जड़ों के प्रति गर्व, सम्मान और आत्मबोध की भावना विकसित होती है। यह शिक्षा को राष्ट्रीयता और मूल्यबोध से जोड़ने का एक सशक्त प्रयास है। इसके अलावा चंद्रयान उत्सव, नारी वंदन, विकसित भारत, बिरसा मुंडा आदि विषयों पर केंद्रित विशेष शिक्षण माड्यूल भी एनसीईआरटी द्वारा जारी किए गए हैं। वस्तुतः ये सब माड्यूल छात्रों को समग्र रूप से शिक्षित करने के उद्देश्य को ही केंद्र में रखते हैं। भाषा और संप्रेषण का नवाचार इन माड्यूलों की भाषा शैली बाल मानस के अनुरूप विकसित की गई है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्पष्ट किया गया है कि शिक्षा केवल सूचनाओं के संचरण का माध्यम नहीं, अपितु सोचने समझने और अनुभव करने की प्रक्रिया है। इन माड्यूलों को उसी नीति की आत्मा के अनुरूप रचा गया है। इन माड्यूलों का डिजिटल रूप में निःशुल्क उपलब्ध होना, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जुड़ाव और कक्षा-स्तरीय उपयुक्तता के अनुसार विभाजन, इन्हें व्यावहारिक रूप से क्रियान्वित करने योग्य बनाता है। साथ ही यह शिक्षकों को अधिक सशक्त बनाता है कि वे पाठ्यक्रम को केवल पूर्ण करने के दायित्व से ऊपर उठकर अर्थपूर्ण अनुभव बनाने की दिशा में कार्य करें।
इन शिक्षण माड्यूलों को केवल पूरक शैक्षिक सामग्री के रूप में नहीं, एक व्यापक शैक्षिक दृष्टिकोण के रूप में देखा जाना चाहिए ये उस विचार की पुष्टि करते हैं कि विद्यार्थी शिक्ष का निष्क्रिय ग्रहणकर्ता नहीं, अपितु एक सक्रिय सह-निर्माता है।

संदेह नहीं कि यदि इन शिक्षण माड्यूलों का विद्यालय स्तर पर सुनियोजित क्रियान्वयन एवं शिक्षकों द्वारा संलग्नता के साथ समुचित रूप में प्रस्तुतिकरण सुनिश्चित किया जाए तो ये माड्यूल विद्यार्थियों के समग्र बौद्धिक, भावनात्मक एवं नैतिक विकास के सशक्त माध्यम के रूप में कार्य करने के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता, प्रासंगिकता और अंतवस्तु की सुहदता को नया आयाम प्रदान कर सकते भारतीय शिक्षा व्यवस्था परिणामोन्मुखी न रखकर प्रक्रिया उन्मुख बन सकते हैं।

(विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब)

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