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Tuesday, August 5, 2025

रविदास घाट पर तीस दिवसीय प्रस्तुतिपरक नाट्य कार्यशाला का हुआ शुभारंभ

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खुला आसमान संस्था व उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में हुआ आयोजन

वाराणसी: उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी (Sangeet Natak Academy), लखनऊ (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश) व वाराणसी (Varanasi) की प्रतिष्ठित सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था खुला आसमान के संयुक्त तत्वावधान में रविदास घाट पर तीस दिवसीय प्रस्तुतिपरक नाट्य कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। दीप प्रज्वलन व गणेश वंदना के साथ शुरू हुए इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक समरसता और सामाजिक चेतना का संगम देखने को मिला।

मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के सदस्य डॉ. ज्ञानेश चन्द्र पांडेय ने बताया कि “इस वर्ष अकादमी द्वारा प्रदेशभर में सौ से अधिक प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं। इनका उद्देश्य नवोदित कलाकारों को मंच और मार्गदर्शन उपलब्ध कराना है ताकि वे अपने कौशल को तराश सकें।”

वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. मनोज कुमार तिवारी ने कार्यशाला की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “संगीत एवं नाट्य केवल कला ही नहीं, बल्कि प्रभावी मनोचिकित्सीय साधन भी हैं। संगीत तनाव प्रबंधन का माध्यम है, वहीं नाट्य मंचन व्यक्तित्व विकास और मानसिक विकारों के निवारण में कारगर भूमिका निभाते हैं।”

खुला आसमान संस्था की संस्थापिका रोली सिंह रघुवंशी ने बताया कि यह कार्यशाला गरीब व जरूरतमंद बच्चों के लिए न केवल एक मंच है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और रचनात्मकता को निखारने का माध्यम भी है। इस कार्यशाला में बनारस के विभिन्न क्षेत्रों से बच्चों ने सहभागिता की है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में सूबेदार जगदीश चंद्र (137 CETF Bn 39 GR TA), आर.बी. शर्मा (सदस्य, संस्कार भारती), प्रमोद पाठक (महामंत्री, संस्कार भारती), उमेश भाटिया (नाट्य संयोजक), नवीन चन्द्रा (प्रशिक्षक) और दिनेश श्रीवास्तव ने भी विचार व्यक्त किए। सभी ने बाल प्रतिभाओं के उत्साह को सराहा और संस्था के प्रयासों की प्रशंसा की।

इस अवसर पर खुला आसमान संस्था के बच्चों द्वारा प्रस्तुत गणेश वंदना और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन श्वेता यादव ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन रोली सिंह रघुवंशी ने किया। यह कार्यशाला आने वाले दिनों में बच्चों को अभिनय, संवाद अदायगी, मंच सज्जा, चरित्र निर्माण आदि विविध रंगमंचीय कौशलों का प्रशिक्षण देगी, जिससे न केवल उनकी प्रतिभा निखरेगी बल्कि समाज में सांस्कृतिक चेतना का विस्तार भी होगा।

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