– जिम्मेदारों की लापरवाही से जाम में फंसे अधिकारी, फिर गरीबों पर टूटा पुलिस का कहर
फर्रुखाबाद। शहर के रोडवेज बस अड्डे के पास बीते शुक्रवार को हुए जाम में जिले के उच्च अधिकारियों के फंसने के बाद प्रशासन की नाराज़गी के चलते पुलिस हरकत में आई। मगर पुलिस की सक्रियता केवल कमजोर और गरीब दुकानदारों पर कहर बनकर टूटी। आरोप है कि बड़ौदा चौकी इंचार्ज दरोगा कपिल कुशवाहा व उनकी टीम ने शनिवार को बस अड्डे के आसपास लगने वाली गरीबों की ठेलियां और काउंटर जबरन हटवा दिए, और उन्हें थाना कादरी गेट भिजवा दिया गया।
मगर यही सख्ती उन लोगों पर नहीं दिखाई गई, जो कथित रूप से पुलिस को ‘नजराना’ अर्पित करते हैं। स्थानीयों ने आरोप लगाया है कि जो वाहन चालक रोजाना पुलिस की जेबें गर्म करते हैं, उनकी ठेलियां और काउंटर नहीं हटाए गए, और वे बदस्तूर वहीं पर सवारियां भरते रहे।
शुक्रवार को जब जिलाधिकारी और एसपी शहर निरीक्षण के लिए निकले थे, तो बर्थडे चौराहे के पास जाम में फंस गए। हैरानी की बात यह रही कि उस समय बस अड्डे पर मौजूद बड़ौदा चौकी पर तैनात कोई भी पुलिसकर्मी मौके पर नहीं मिला। बताया जा रहा है कि चौकी इंचार्ज कपिल कुशवाहा मौके से नदारद थे, और यह कोई पहली बार की घटना नहीं है। स्थानीय लोगों के अनुसार चौकी पर अक्सर सन्नाटा रहता है और जाम की समस्या अब आम हो गई है।
एसपी द्वारा की गई जांच में लापरवाही की पुष्टि होने पर कार्रवाई तय मानी गई। इसी दबाव में चौकी इंचार्ज ने शनिवार को एकतरफा कार्रवाई करते हुए गरीब दुकानदारों की दुकानें, ठेलियां और तख्त जबरन हटवा दिए।
हटाए गए दुकानदारों का कहना है कि वे वर्षों से रोज़गार चला रहे थे, लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी। रविवार को भी यही सिलसिला जारी रहा। लोगों का कहना है कि चौकी के सामने ही फुटपाथ पर खड़े होकर सवारी भरने वाले अवैध डग्गामार वाहनों को पुलिस ने नहीं हटाया। चर्चाओं के मुताबिक इन वाहन चालकों से चौकी पुलिस को हर महीने अवैध वसूली होती है, इसलिए उन्हें छूट मिली हुई है।
इस पूरी कार्रवाई को लेकर शहर में चर्चाएं गर्म हैं। लोगों का कहना है कि चौकी इंचार्ज केवल दिखावटी कार्रवाई कर रहे हैं, जिससे उनकी नौकरी बची रहे।
सवाल यह भी उठता है कि क्या पुलिस की कार्रवाई सिर्फ गरीबों के खिलाफ ही होती है? और क्या उन लोगों पर भी कार्रवाई होगी, जो रोजाना नियमों को ठेंगा दिखा कर सड़कों पर कब्जा जमाए बैठे हैं?
अब सबकी निगाहें पुलिस अधीक्षक पर टिकी हैं कि वे इस मामले में निष्पक्ष और सख्त कदम उठाते हैं या नहीं।