कन्नौज: जिले में प्रेस स्वतंत्रता (press freedom) पर एक और गहरी चोट सामने आई है, जहां वरिष्ठ पत्रकार अभय कटियार (Senior journalist Abhay Katiyar) को कथित रूप से राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव में पुलिस ने रंगदारी और धमकी जैसे संगीन आरोपों में मुकदमा पंजीकृत कर गिरफ्तार कर लिया । इस कार्रवाई के खिलाफ पत्रकार संगठनों (journalist organizations) ने जोरदार विरोध दर्ज कराया है और इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया है।
घटना शुक्रवार दोपहर की है, जब पत्रकार अभय कटियार और दरोगा नीलम सिंह का पुत्र एक ही मार्ग से अपनी अपनी कारों से गुजर रहे थे। गोलकुआं मानपुर इलाके में रास्ता निकालने को लेकर दोनों के बीच हल्की बहस हुई। दरोगा के पुत्र की गलती थी।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बहस मामूली थी और पत्रकार ने सामने वाले से सॉरी कहने की मांग की, लेकिन कोई धमकी या जबरन वसूली जैसी बात नहीं हुई।कुछ घंटों के भीतर ही कला चौकी इंचार्ज नीलम सिंह, निवासी गहरौली, थाना सरेनी, जनपद रायबरेली द्वारा पत्रकार अभय कटियार और उनके साथी प्रदीप त्रिवेदी पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया।
आरोप लगाया गया कि पत्रकार ने शराब के लिए रंगदारी मांगी और धमकी दी। इसके बाद पुलिस ने बिना जांच के दोनों को हिरासत में ले लिया।स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि दरोगा का पुत्र स्वयं पहले भी अभद्र भाषा और आचरण को लेकर चर्चा में रहा है। उस पर महिलाओं से दुर्व्यवहार और सार्वजनिक स्थानों पर अनुशासनहीनता के आरोप भी पूर्व में लगे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार अभय कटियार के परिवार की सामाजिक और पेशेवर पृष्ठभूमि को देखते हुए भी उन पर लगे आरोप संदिग्ध प्रतीत होते हैं। उनके पिता गजेंद्र कटियार एक प्रतिष्ठित अतर व्यवसायी हैं, जबकि उनकी पत्नी डॉ. शिखा सचान लघु सिंचाई विभाग में अवर अभियंता के पद पर कार्यरत हैं। और वह स्वयं की कार से निकल रहे थे तो शराब पीने के लिए पैसे मांगने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है। यह भी सामने आया है कि अभय कटियार ने पूर्व में भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक की कार्यशैली पर प्रश्न उठाए थे, जिससे उनकी भूमिका को लेकर राजनीतिक साजिश की भी आशंका जताई जा रही है।

परिजनों और सहयोगियों का कहना है कि पत्रकार को पूर्व सांसद ने धमकी दी थी कि उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाया जाएगा।घटना के बाद प के पत्रकार संगठनों ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। उत्तर प्रदेश पत्रकार परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भरत चतुर्वेदी ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया और दोषी अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।परिवार और पत्रकार साथी प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी में हैं। मामला जल्द ही डीजीपी तक भी पहुँचाने की बात कही जा रही है।