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Monday, October 6, 2025

कानपुर में कानून व्यवस्था को खुली चुनौती

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– अपना दल (एस) के नेता व पूर्व प्रधान पर जानलेवा हमले के मामले में , दबंग ननकू के खिलाफ शासन सख्त

– कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल और डीएम कटियार की सक्रियता के बाद पुलिस आई हरकत में, ग्रामीणों में उबाल

– बीती रात पुलिस ने दर्ज किया है 4 दिन बाद दबाव पड़ने पर मुकदमा

कानपुर नगर (युवा इंडिया संवाददाता) – कानपुर के बिल्हौर कोतवाली क्षेत्र खासपुर गांव में अपना दल (एस) के नेता और पूर्व प्रधान अशोक कटियार पर हुए जानलेवा हमले को लेकर शासन ने गंभीर संज्ञान लिया है। हमले के पीछे बसपा के पूर्व विधायक कमलेश दिवाकर के करीबी दवंग गुंडे ननकू और उसके गुर्गों के आतंक के खिलाफ पुलिस सक्रिय हुई है, इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, लेकिन चार दिन बीत जाने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी, जिससे स्थानीय जनता में भारी आक्रोश था।

डीएम कटियार की पहल से पुलिस हरकत में

इस मामले में सबसे बड़ी भूमिका निभाई अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डीएम कटियार ने, जो खुद खासपुर गांव के मूल निवासी हैं। डीएम कटियार बीते कई दिनों से इस गंभीर प्रकरण को लेकर उच्च अधिकारियों से संपर्क में थे। उनकी लगातार कोशिशों और सामाजिक लामबंदी के बाद आखिरकार पुलिस हरकत में आई है।
डीएम कटियार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “समाज के साथ इस तरह की बर्बरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो भी दोषी हैं, उनसे कानून के अनुसार सख्ती से निपटा जाएगा।” उन्होंने पूरे समाज से एकजुट होकर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया।

अपना दल (एस) के प्रमुख और उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कानपुर एडीजी समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से वार्ता की है। मंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द से जल्द की जाए और पीड़ित को न्याय दिलाया जाए।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद खासपुर और आसपास के क्षेत्रों में भारी जनाक्रोश है। समाज के विभिन्न वर्गों और संगठनों ने डीएम कटियार और कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल के प्रयासों की सराहना करते हुए उनका आभार प्रकट किया है। लोगों का कहना है कि अगर इन नेताओं ने मोर्चा न संभाला होता, तो प्रशासन इस मामले को भी दबाने की कोशिश करता।

हालांकि शासन और सामाजिक नेतृत्व की सक्रियता से पुलिस हरकत में आई है, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि चार दिन तक वीडियो और पीड़ित की तहरीर के बावजूद दबंग ननकू और उसके गुर्गों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? क्या पुलिस दबाव में थी या मामले को नजरअंदाज कर रही थी?

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अगर समाज संगठित होकर अन्याय के खिलाफ खड़ा हो जाए और शासन सक्रिय हो तो दबंगई और गुंडागर्दी के खिलाफ कार्यवाही संभव है। अब देखना यह है कि शासन और प्रशासन इस प्रकरण में कितनी तेजी और पारदर्शिता से कार्रवाई करता है।

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