पीड़ित पत्रकार बोले- बीमारी के बावजूद बेवजह किया मानसिक रूप से प्रताड़ित, समाज में उठे पुलिस कार्यशैली पर सवाल
फर्रुखाबाद। स्वतंत्र चेतना अखबार के पत्रकार अवनीश राजपूत पर संकट के समय पुलिस की कार्रवाई ने न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 13 मई को पैर का ऑपरेशन होने के बाद वे पूरी तरह चलने-फिरने में असमर्थ हैं, बावजूद इसके पुलिस ने उन्हें और उनके पिता सुरेंद्र सिंह (जो विकास भवन में तैनात कर्मचारी हैं) को एक विवादित मामले में झूठे मुकदमे में फंसा दिया।
अवनीश राजपूत का आरोप है कि बिना किसी निष्पक्ष जांच के पुलिस ने उन्हें मारपीट, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी जैसी गंभीर धाराओं में आरोपी बना दिया। उन्होंने सोमवार को पुलिस अधीक्षक आरती से मिलकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की और कहा कि स्वास्थ्य ठीक न होने पर भी उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
स्थानीय पत्रकारों और सामाजिक संगठनों ने इस कार्रवाई पर गहरी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि जब एक व्यक्ति ऑपरेशन के बाद बिस्तर पर है, तो उसे मारपीट के मामले में आरोपी बनाना पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।
पुलिस अधीक्षक आरती ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया है और संबंधित थाने को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि शिकायत सही पाई जाती है, तो दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
इस प्रकरण को लेकर पत्रकार संगठनों में रोष है और वे शीघ्र ही इस मुद्दे को लेकर धरना-प्रदर्शन की रणनीति बना सकते हैं। वहीं पीड़ित पत्रकार और उनके परिवार ने न्याय की आस में प्रशासन की ओर टकटकी लगा रखी है।