– कवियों ने सामाजिक सरोकारों, विसंगतियों और चेतना के स्वर को स्वर दिया
फर्रुखाबाद। साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था “अभिव्यक्ति” की नियमित काव्यगोष्ठी का आयोजन श्याम नगर स्थित संस्था संरक्षक व वरिष्ठ ग़ज़लकार नलिन श्रीवास्तव के आवास पर किया गया। कार्यक्रम का संयोजन वरिष्ठ कवि प्रेम सागर चौहान ने किया। गोष्ठी की अध्यक्षता समाजसेवी श्रीमती इन्दिरा पाण्डेय ने की, जबकि संचालन स्वयं नलिन श्रीवास्तव ने किया।
वाणी वंदना से हुई शुरुआत, समय और समाज पर कवियों ने रखे दृष्टिकोण
कार्यक्रम की शुरुआत मां बागीश्वरी को पुष्पांजलि अर्पित कर और प्रसिद्ध कवियत्री डॉ. गरिमा पाण्डेय की वाणी वंदना से हुई।
नई कविता की कवियत्री रत्नेश पाल ने अपनी रचनाओं में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को मार्मिक ढंग से प्रस्तुत कर संवेदना और जागरूकता का संदेश दिया। वरिष्ठ कवि प्रेम सागर चौहान ने बीते समय की स्मृतियों को जीवंत करते हुए अतीत से वर्तमान को जोड़ने का कार्य किया।
कवियों ने समय की पीड़ा, कश्मीर की पीड़ा और प्रकृति से जुड़ाव को स्वर दिए
कवि कौशलेंद्र यादव ‘बेबाक’ ने सामाजिक विसंगतियों और स्वास्थ्य विषयक दोहों के माध्यम से लोगों को प्रकृति के अनुरूप चलने की प्रेरणा दी। कवियत्री गीता भारद्वाज ने कश्मीर समस्या पर केंद्रित रचना प्रस्तुत की और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लक्ष्य तक पहुंचाने का आह्वान किया।
संस्था के समन्वयक उपकार मणि उपकार ने ताजातरीन ग़ज़लों से श्रोताओं की वाहवाही बटोरी। वहीं डॉ. गरिमा पाण्डेय द्वारा लिखा गया फिल्म चयनित गीत “पांव के छाले ही मंज़िल का पता देते हैं…” खूब सराहा गया।
नलिन श्रीवास्तव की ग़ज़ल ने समय के बदलाव को छुआ
वरिष्ठ ग़ज़लकार नलिन श्रीवास्तव ने कहा —
“खुशबू सी फैलती थी जिस शख्स के खतों से,
अब उसके खत भरे हैं शिकवे शिकायतों से।”
उन्होंने समय की करवट को बेहद संवेदनशीलता के साथ व्यक्त किया।
छोटे मंच से बड़ी उड़ान की प्रेरणा
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं श्रीमती इन्दिरा पाण्डेय ने सभी कवियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि समसामयिक रचनाओं से जुड़े रहें, यही छोटी-छोटी आवाज़ें आने वाले समय में बड़े मंचों तक पहुंचेंगी।
कार्यक्रम संयोजक प्रेम सागर चौहान ने सभी साहित्य प्रेमियों, कवियों और सहभागियों का आभार जताते हुए भविष्य में भी ऐसे आयोजन में सहभागिता की कामना की।