-‘जीरो टॉलरेंस’ स्कीम हुई फेल, चर्चित सिपाही माफिया को संरक्षण देने को सक्रिय हुआ, फतेहगढ़ का जूता व्यापारी फिर बना फाइनेंसर
– जिले में पुलिस का खत्म होता इकबाल, गुर्गों पर महेरवानी
फर्रुखाबाद: जिले में पुलिस प्रशासन के हालिया बदलाव के बाद एक बार फिर कुख्यात माफिया अनुपम दुबे के हौसले बुलंद होते नजर आ रहे हैं। माफिया के शातिर गुर्गों ने अब खुलकर ठगी और धमकियों का खेल शुरू कर दिया है। ताजा मामला जिले के एक व्यापारी से जुड़ा है, जिसे माफिया के खास गुर्गे मनकु मिश्रा ने अकेले 60 लाख रुपये की ठगी का शिकार बना डाला।
चौंकाने वाली बात यह है कि फतेहगढ़ का वही जूता व्यापारी, जो पहले भी अनुपम दुबे का फाइनेंस का काम देखता था, अब एक बार फिर माफिया को आर्थिक मदद देने लगा है। सूत्रों की मानें तो माफिया पर नजर रखने वाले कई चिन्हित पुलिसकर्मी अब अंदरखाने उसके समर्थन में खड़े दिख रहे हैं। जिसका परिणाम है कि माफिया और उसके भाइयों को हर मुकदमे राहत मिलनी शुरू हो गई, धड़ा धड जमानतें मिलने लगीं, गैंग्स्टर जैसे मुकदमों मे पूर्व में सरकार की किरकिरी फतेहगढ़ पुलिस करा चुकी,सुप्रीम कोर्ट मे भी फटकार मिल चुकी।फतेहगढ़ पुलिस ने अपने ही डीजीपी प्रशांत कुमार की भी चिंता नहीं की।
इन दिनों,खासकर एक विशेष जाति चर्चित सिपाही, जो खुद को कानपुर एडीजी का खास बताकर लंबे समय से जिले में रौब गांठता रहा,जिसे माफिया के ख़िलाफ़ जारी ऑपरेशन में शामिल किया गया था,वो अब माफिया के लिए ही काम करता दिखाई दे रहा है। इससे यह साफ होता जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति जिले में अब सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गई है और कानून व्यवस्था से किसी भी जिम्मेदार को कोई वास्ता नहीं रहा।
पूर्व में तैनात एसपी अशोक कुमार मीणा और विकास बाबू ने जिले में माफियाराज के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर कई माफिया को या तो सलाखों के पीछे पहुंचाया या उनका सफाया किया। उस समय जनपद में अपराधियों में खौफ था और आमजन में सुरक्षा का भाव। लेकिन हालिया समय में तैनात पुलिस अधिकारियों द्वारा लगातार माफिया से दूरी बनाए जाने से अपराधियों के हौसले फिर बुलंद हो गए हैं।
पुलिस महकमे में माफिया के बढ़ते प्रभाव को देखकर जनता में गुस्सा है और अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या जिले में फिर से माफियाराज लौट आया है? क्या शासन की जीरो टॉलरेंस नीति पर कुछ पुलिसकर्मी पानी फेर रहे हैं?
इस पूरे मामले पर अब शासन और उच्च पुलिस अधिकारियों की चुप्पी भी कई सवाल खड़े कर रही है। क्या जिले में फिर किसी बड़ी घटना का इंतजार हो रहा है, या फिर आम जनता को माफिया के रहमो-करम पर छोड़ दिया गया है?