थाना मऊदरवाजा की लापरवाही आई सामने, न्यायालय ने एसपी को दिए जांच के आदेश
फर्रुखाबाद: थाना मऊदरवाजा (Maudarwaja Police Station) क्षेत्र से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें धोखाधड़ी के एक पुराने मुकदमे की पत्रावली बीते 17 वर्षों से गायब है। मामला अब उस समय तूल पकड़ गया जब न्यायालय द्वारा सख्ती बरती गई और पत्रावली से जुड़ी जानकारी तलब की गई।
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2001 में कोतवाली फतेहगढ़ क्षेत्र ग्राम याकूतगंज निवासी सतीश चंद्र पुत्र रामचंद्र कटियार ने न्यायालय के आदेश 156(3) के तहत महेंद्र कुमार, हरेंद्र कुमार, अरविंद कुमार, सुधीर कुमार पुत्रगण रमेशचंद्र बढ़पुर फर्रुखाबाद, शिव बहादुर पटेल (तहसीलदार सदर), गुरबचन दास (नाजिर, तहसील सदर) और रामानुज द्विवेदी (एडवोकेट) के विरुद्ध धारा 418, 419, 420 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया था।
इस मामले में 29 अप्रैल 2002 को अंतिम आख्या न्यायालय में दाखिल की गई थी, जिसे 30 अगस्त 2008 को न्यायालय ने निरस्त कर थानाध्यक्ष मऊदरवाजा को पुनः विवेचना के निर्देश दिए थे। इसके पश्चात 1 अक्टूबर 2008 को विवेचना के लिए थाने के पैरोकार को पत्रावली सौंपी गई थी। लेकिन उसके बाद से न तो विवेचना हुई और न ही न्यायालय को कोई सूचना दी गई। करीब 17 वर्ष बीत जाने के बाद जब इस मामले में पुनः सुनवाई के दौरान 16 मई 2025 को थानाध्यक्ष मऊदरवाजा को नोटिस भेजा गया कि 20 मई 2025 को न्यायालय में आख्या प्रस्तुत की जाए, तो उन्होंने चौंकाने वाला जवाब दिया।
20 मई को न्यायालय में उपस्थित होकर थानाध्यक्ष ने कहा कि अभिलेखों में ऐसी किसी पत्रावली का कोई उल्लेख नहीं है और उन्हें यह भी जानकारी नहीं है कि पुनः विवेचना की जिम्मेदारी किस विवेचक को दी गई थी। इस जवाब से क्षुब्ध होकर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर निर्देशित किया कि इस मामले की गहन जांच कर दोषी पुलिसकर्मी के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाए और न्यायालय को एक सप्ताह के भीतर अवगत कराया जाए।
इस पूरे प्रकरण ने पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कैसे एक गंभीर धाराओं में दर्ज मामला वर्षों तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहा, और अब यह सामने आया है कि संबंधित पत्रावली ही गायब है? क्या यह लापरवाही है या किसी साजिशन प्रयास का हिस्सा?