31.4 C
Lucknow
Tuesday, September 9, 2025

योगी आदित्यनाथ: अनुशासन, विकास और राष्ट्रवाद के प्रतीक

Must read

शरद कटियार

उत्तर प्रदेश की राजनीति में यदि कोई नाम बीते दशक में दृढ़ता और परिवर्तन का प्रतीक बनकर उभरा है, तो वह है योगी आदित्यनाथ। सनातन परंपरा, राष्ट्रवाद, प्रशासनिक सख्ती और विकास के समन्वय को यदि किसी ने कार्यरूप में प्रस्तुत किया है, तो वह कार्यकाल योगी आदित्यनाथ का है। एक संन्यासी मुख्यमंत्री का यह सफर केवल व्यक्तिगत निष्ठा और वैचारिक दृढ़ता का नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आकांक्षाओं और उम्मीदों का प्रतिनिधित्व है।

गोरक्षपीठ से मुख्यमंत्री आवास तक का सफर

योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा के बाद विज्ञान स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गए। 1993 में उन्होंने संन्यास लिया और गोरक्षपीठ के महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी बने। युवावस्था में ही गोरखनाथ मठ की जिम्मेदारी संभालना और जनता के बीच सेवा कार्यों के माध्यम से पहचान बनाना योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व क्षमता को प्रारंभिक रूप से दर्शाता है।

1998 में महज 26 वर्ष की आयु में वह देश के सबसे युवा सांसद बने। लगातार पांच बार गोरखपुर से सांसद रहकर उन्होंने न केवल पूर्वांचल की समस्याओं को संसद में आवाज दी, बल्कि अपने क्षेत्र में सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा के अनेक कार्यों की नींव रखी।

मुख्यमंत्री के रूप में पहली पारी (2017–2022): कानून का राज और प्रशासनिक अनुशासन

19 मार्च 2017 को जब योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तब किसी को अंदाजा नहीं था कि यह निर्णय राज्य की राजनीति और शासन की परिभाषा को बदल देगा। उस समय उत्तर प्रदेश अपराध, भ्रष्टाचार और जातिगत राजनीति के जाल में उलझा हुआ था। योगी ने शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया कि “अपराधी या तो जेल में होंगे या प्रदेश छोड़ देंगे।” और यह कथन किसी राजनीतिक नारों तक सीमित नहीं रहा।

एनकाउंटर नीति: सरकार ने संगठित अपराध पर नकेल कसने के लिए पुलिस को पूरी छूट दी। हजारों एनकाउंटर हुए, दर्जनों इनामी बदमाश या तो मारे गए या गिरफ्तार किए गए। इस नीति की आलोचना भी हुई, लेकिन आम जनता में विश्वास जगा कि अब शासन अपराधियों के नहीं, जनता के पक्ष में है।

भ्रष्टाचार पर प्रहार: सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सख्ती से कार्यवाही हुई। अधिकारी ट्रांसफर-पोस्टिंग में पारदर्शिता लाई गई और CM हेल्पलाइन के जरिए आम जनता को सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से जोड़ने का प्रयास सफल रहा।

एंटी-रोमियो स्क्वाड: महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष पुलिस दस्ते बनाए गए। कॉलेज, बस स्टॉप, बाजार जैसे स्थलों पर विशेष निगरानी रखी जाने लगी।

विकास का रोडमैप: पूर्वांचल से बुंदेलखंड तक

योगी आदित्यनाथ का दूसरा मुख्य आधार रहा — समावेशी विकास। ‘सबका साथ, सबका विकास’ की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए उन्होंने बुनियादी ढांचे से लेकर औद्योगिक निवेश तक, हर क्षेत्र में ठोस कदम उठाए।

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे: इन परियोजनाओं ने उत्तर प्रदेश को आर्थिक दृष्टि से नई गति दी। दूरदराज़ के क्षेत्रों को राजधानी लखनऊ और NCR से जोड़ा गया।

डिफेंस कॉरिडोर: भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति के तहत यूपी को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया गया।

उद्योगों का आगमन: ‘इंवेस्टर्स समिट’ के माध्यम से देश-विदेश की कंपनियों को उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित किया गया। नतीजतन प्रदेश ने MSME और स्टार्टअप्स के क्षेत्र में भी बड़ी छलांग लगाई।

दूसरी पारी (2022–अब तक): लोक कल्याण और डिजिटल युग का समन्वय

2022 में योगी आदित्यनाथ एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बने और ऐसा कर दिखाया जो पिछले कई दशकों में कोई भी मुख्यमंत्री नहीं कर पाया था — लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटना।

डिजिटल शासन: यूपी में सरकारी सेवाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने का काम तेजी से हुआ। शिक्षा, स्वास्थ्य, भूमि रिकॉर्ड, पेंशन, छात्रवृत्ति आदि योजनाओं को ऑनलाइन किया गया जिससे पारदर्शिता और त्वरित सेवा दोनों को बल मिला।

गरीबों के लिए योजनाएं: प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, राशन कार्ड योजना, किसान सम्मान निधि जैसे केंद्र की योजनाओं को राज्य में सुचारू रूप से लागू करने के साथ योगी सरकार ने अपनी स्वयं की योजनाएं भी लागू कीं जैसे कि मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना और सामूहिक विवाह योजना।

धार्मिक पर्यटन का पुनर्जागरण: काशी, अयोध्या और मथुरा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाने का उनका सपना आज मूर्त रूप ले चुका है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण प्रदेश के गौरव को विश्वपटल पर स्थापित कर रहा है।

राष्ट्रवाद और संस्कृति की चेतना

योगी आदित्यनाथ की वैचारिक पृष्ठभूमि उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है। वह केवल प्रशासनिक अधिकारी नहीं, बल्कि राष्ट्रवादी संत हैं। उनकी कार्यशैली में ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना झलकती है। चाहे राम मंदिर का मुद्दा हो या कश्मीर से धारा 370 हटाने का समर्थन, योगी ने हमेशा स्पष्ट और ठोस रुख अपनाया है।

हिन्दुत्व का स्वरूप: योगी हिन्दुत्व को केवल एक धार्मिक अवधारणा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना और जीवन मूल्य के रूप में प्रस्तुत करते हैं। उनका मानना है कि भारत की आत्मा उसकी सांस्कृतिक विरासत में बसती है।

गौ रक्षा और परंपरा संरक्षण: प्रदेश में अवैध बूचड़खानों पर रोक, गौशालाओं की स्थापना और सांस्कृतिक पर्वों को सरकारी पहचान देना इसी वैचारिक मूल्यों की परिणति है।

विपक्ष की आलोचनाएं और योगी की नीतिगत स्थिरता

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व पर विपक्ष कई बार उंगली उठाता रहा है। उन पर मुसलमानों की उपेक्षा, कड़े प्रशासन और पुलिस एनकाउंटरों को लेकर आलोचना हुई। लेकिन योगी ने कभी भी अपनी नीति से विचलित नहीं होकर यह दिखा दिया कि जनहित के कार्यों में राजनीतिक झुकाव नहीं, सिद्धांत और निर्णय की दृढ़ता होनी चाहिए।

आपदा में सेवा: कोविड-19 प्रबंधन एक उदाहरण

कोरोना महामारी के दौरान जब देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य संक्रमण की चपेट में आया, तब योगी ने न केवल मेडिकल ढांचे को सुदृढ़ किया, बल्कि प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षित वापसी, राशन वितरण और टेस्टिंग के क्षेत्र में मिसाल कायम की। उन्होंने हर जिले में कोविड हॉस्पिटल और ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कराए।

नया उत्तर प्रदेश: एक उभरती शक्ति

आज उत्तर प्रदेश सिर्फ जनसंख्या में ही नहीं, बल्कि निवेश, आधारभूत संरचना, कानून व्यवस्था और सांस्कृतिक चेतना में भी अग्रणी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बार-बार यह कहते हैं कि “योगी के नेतृत्व में यूपी देश का ग्रोथ इंजन बन रहा है।” राज्य में रिकॉर्ड निवेश, पर्यटन में वृद्धि, युवाओं के लिए रोज़गार और महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में हुए कार्य इसे प्रमाणित करते हैं।

योगी आदित्यनाथ – एक युगपुरुष की भूमिका में

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केवल एक राजनेता नहीं हैं। वह एक ऐसे युगपुरुष हैं जिन्होंने सनातन संस्कृति की चेतना, अनुशासित प्रशासन और जनता के कल्याण को एक साथ समेटकर शासन का नया आदर्श प्रस्तुत किया है। उत्तर प्रदेश उनके नेतृत्व में ‘बिमारू राज्य’ की छवि को तोड़कर ‘आकांक्षी भारत’ की पहचान बन चुका है।
यदि लोकतंत्र का मापदंड जनविश्वास है, तो योगी आदित्यनाथ ने जनभावनाओं को यथार्थ में परिवर्तित कर यह सिद्ध किया है कि नेतृत्व केवल भाषण नहीं, बल्कि संकल्प, साहस और सेवा का संगम है।
लेखक दैनिक यूथ इंडिया के ग्रुप एडिटर हैं।

Must read

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article