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Sunday, August 24, 2025

फर्रुखाबाद में राष्ट्रगौरव महाराणा प्रताप का अपमान! कौन कर रहा है यह सियासी साज़िश?

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– किसके इशारे पर रोकी गई प्रतिमा स्थापना? किससे डर गया प्रशासन?
– अब मूर्ति ही नहीं , बस अड्डे का नाम भी होगा महाराणा प्रताप
– शासन ने मांगा प्रस्ताव

फर्रुखाबाद/लखनऊ। राष्ट्रगौरव महाराणा प्रताप के सम्मान पर सवाल उठने लगे हैं। फर्रूखाबाद रोडवेज बस स्टॉप पर शासन द्वारा स्वीकृत प्रतिमा की स्थापना की अनुमति अचानक रद्द कर दी गई—वो भी दोबारा रिपोर्ट लगाकर! ये वही जमीन है जिसे पूर्व जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने अवैध कब्जा हटाकर खाली कराया था, और अब जब वहां पर्याप्त जगह है, तो मूर्ति लगाने में परहेज़ क्यों?

जब सेल्फी प्वाइंट बन सकता है, तो राष्ट्रनायक की प्रतिमा क्यों नहीं?

बीती 9 मई को करनी सेना और अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने महाराणा प्रताप जयंती संयुक्त रूप से मनाई थी। प्रतिमा स्थापना की अगुवाई कर रहे थे महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री और भाजपा नेता राघवेंद्र सिंह। लेकिन सूत्र बताते हैं कि जिले के एक भाजपा विधायक—जो कभी बसपा में थे—ने राघवेंद्र सिंह और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ठाकुर वीरेंद्र सिंह राठौर को नीचा दिखाने की नीयत से यह पूरा खेल रचा। वो खुद प्रतिमा धीरपुर चौराहे पर लगवाना चाहते हैं!

जब जिले में ‘छत्रिय भवन’ मौजूद है, तो फिर रोडवेज परिसर में प्रतिमा से परहेज क्यों?

और सबसे बड़ा सवाल—परिवहन निगम के एमडी मासूम सरवर आलम ने आखिर किसके दबाव में 2.84 लाख महाराणा प्रताप वंशजों के सम्मान का ‘सर्वर डाउन’ कर दिया?

जानकारी के मुताबिक, जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी को इस साजिश की भनक तक नहीं थी। परंतु जैसे ही प्रभारी मंत्री और पर्यटन मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह ने मोर्चा संभाला, प्रशासन हरकत में आया। बीती रात डीएम खुद खड़े होकर स्थल की नाप कराते दिखे। मंत्री दयाशंकर सिंह और संजय निषाद भी समर्थन में कूदे। वहीं कानपुर से सांसद रमेश अवस्थी ने भी खुला समर्थन दे डाला।

ये वही प्रतिमा है जिसकी संरचना राघवेंद्र सिंह की पहल पर शुरू हुई थी और तीन महीने से तैयार पड़ी है। पूर्व जिलाधिकारी बीके सिंह ने जयवीर सिंह के निर्देश पर इसकी अनुमति शासन को भेज दी थी। एडीएम, डीएम, डीआरएम सभी की संस्तुति मिल चुकी थी।

लेकिन जैसे ही अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा को श्रेय मिलने की आशंका हुई—साजिश शुरू हो गई। और ये साजिश रची गई जिले के अंदर से ही!

नेता जी, जो बसपा से भाजपा में आए हैं, अपने वर्चस्व के लिए माफियाओं का साथ लेने से भी नहीं चूके। लेकिन इस बार सियासी तीर उन्हीं पर उल्टा पड़ता दिख रहा है।

अब जब मंत्री जयवीर सिंह और दया शंकर सिंह एक्शन में हैं, पूरा मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में पहुंच चुका है। अब इस साज़िश की शर्मनाक हार तय मानी जा रही है। न केवल प्रतिमा लगेगी, बल्कि रोडवेज बस स्टॉप का नाम भी ‘महाराणा प्रताप बस स्टैंड’ होगा।

और ये निर्णय उन 2,84,786 क्षत्रिय मतदाताओं का सम्मान लौटाएगा, जिनमें 56,000 पूर्व सैनिक भी शामिल हैं।
पूरे जिले को अब पता चल गया है कि पर्दे के पीछे कौन था—और अब जब परदा उठ चुका है, तो क्षत्रिय महासभा की इस लड़ाई की जीत भी तय है। नेता जी ने अपनी ही सरकार के मंत्रियों को कटघरे में खड़ा करने की साज़िश रच डाली—लेकिन जनता सब देख रही है।

अब सवाल एक ही है:

क्या जो खुद को ‘छत्रिय’ कहते हैं, वे ही कर रहे हैं महाराणा प्रताप का अपमान?

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