यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। फर्रुखाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार एवं एक्सप्लोरर विजय कुशवाहा को एशियन अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय से उनके चालीस साल के अनुसंधान के परिणामस्वरूप विकसित ज्यामितीय लिपि और ज्यामितीय अंकों पर मानद डॉक्टरेट उपाधि प्रदान की गई है।
हमारे संवाददाता ने जब विजय कुशवाहा से उनके आवास पर संपर्क किया तो उन्होंने इस सम्मान की पुष्टि की। विजय कुशवाहा ने बताया कि वे सरकारी नाइंसाफियों के शिकार रहे हैं और प्राइवेट नौकरी करते हुए अपने परिवार का पालन-पोषण किया। अगस्त 2012 में हुए पक्षाघात के कारण उनकी प्राइवेट नौकरी भी छूट गई, जिसके बाद वे हिंदी साहित्य की सेवा में जुट गए। बीमारी की कैद में रहते हुए उन्होंने साहित्यिक लेखन को अपना सहारा बनाया और अब तक उनकी पच्चीस से अधिक साहित्यिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
साल 2023 में विजय कुशवाहा ने अपने चालीस साल के अनुसंधान से दुनिया की पहली ज्यामितीय लिपि और ज्यामितीय अंकों को विकसित करने में सफलता पाई, जिसके लिए वे दो वर्ल्ड रिकॉर्ड्स भी धारण कर चुके हैं। अब उन्हें मानद डॉक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया गया है और लोग उन्हें अब डॉ. राधेश्याम कुशवाहा विजय के नाम से जानेंगे।
विजय कुशवाहा के इस उपलब्धि पर उनके तमाम मित्रों और रिश्तेदारों ने हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।