गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। मोदीनगर प्रवर्तन जोन-2 के ग्राम डिडोली में करीब 50 बीघा भूमि पर बड़े पैमाने पर अवैध व्यावसायिक निर्माण का मामला सामने आया है। सूत्रों के अनुसार, इस पूरे खेल में जीडीए के कुछ अफसरों की मिलीभगत से सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है।
मामले में अजय त्यागी नामक व्यक्ति पर आरोप है कि उसने लगभग 2 करोड़ रुपये की सांठगांठ कर जीडीए अधिकारियों को मैनेज किया और ध्वस्तीकरण के बाद फिर से अवैध कॉलोनी का विकास शुरू कर दिया। यह पूरी कॉलोनी पहले भी अवैध घोषित होकर तोड़ी जा चुकी थी।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण आए दिन सैटेलाइट मॉनिटरिंग के जरिए अवैध निर्माण रोकने का दावा करता है, लेकिन डिडोली जैसे मामलों में जीडीए की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। ध्वस्तीकरण के बाद भी कॉलोनी का दोबारा बसना यह संकेत देता है कि पूरा मामला जीडीए की मिलीभगत से ही संभव हो सका है।
क्या कहता है नियम?
उत्तर प्रदेश नगरीय नियोजन और विकास अधिनियम 1973 के तहत
बिना अनुमति के व्यावसायिक या आवासीय निर्माण अपराध की श्रेणी में आता है।
विकास प्राधिकरण को अवैध निर्माण पर तुरंत ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करनी होती है।
दोषी अधिकारियों पर विभागीय जांच और निलंबन भी होना चाहिए।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन और शासन इस मामले पर कोई सख्त कार्रवाई करेगा या फिर यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा?