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Friday, June 20, 2025

भारत का सिंधु समझौता निलंबन और, बगलिहार बांध से पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति

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जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पहलगाम (Pahalgam) में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत (India) ने पाकिस्तान (Pakistan) के साथ 65 साल से चले आ रहे सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इसके तहत भारत ने चिनाब नदी पर स्थित बगलिहार बांध से पाकिस्तान को जाने वाले पानी की आपूर्ति को तुरंत रोक दिया है। यह कदम भारत की सुरक्षा नीति के तहत पाकिस्तान पर कड़ा दबाव बनाने के लिए उठाया गया है और इसके प्रभाव दोनों देशों के रिश्तों पर गहरा असर डाल सकते हैं।

सिंधु जल समझौता और बगलिहार बांध का महत्व

सिंधु जल समझौता (Indus Water Treaty) 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। यह समझौता दोनों देशों के बीच सिंधु नदी प्रणाली के पानी के वितरण को लेकर था, जिसमें पाकिस्तान को चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों का पानी मिलने की अनुमति दी गई थी। भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का पानी मिलता है। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच जल विवादों को सुलझाना और नदी जल के समान वितरण को सुनिश्चित करना था।
बगलिहार बांध, जो चिनाब नदी पर स्थित है, भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में एक महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजना है। इस बांध से पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति की जाती थी, जिसका उपयोग पाकिस्तान कृषि और सिंचाई के लिए करता था। यह बांध भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके जरिए बिजली उत्पादन और पानी के संग्रहण का कार्य किया जाता है, जबकि पाकिस्तान के लिए यह पानी सिंचाई और अन्य आवश्यकताओं के लिए महत्वपूर्ण था।
पहल्गाम में भारतीय सुरक्षाकर्मियों पर हुए आतंकवादी हमले ने भारत में भारी आक्रोश पैदा किया है। इस हमले में कई भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, और इसके बाद सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया। भारत सरकार का मानना है कि पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवादियों को पनाह देता है और भारत में आतंकवादी हमलों को बढ़ावा देता है।

इस संदर्भ में, भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया, जो पहले से दोनों देशों के बीच एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। भारत का यह कदम पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक भारत अपनी जल आपूर्ति नीति में बदलाव कर सकता है।

भारत द्वारा बगलिहार बांध से पानी की आपूर्ति रोकने का उद्देश्य पाकिस्तान पर दबाव बनाना है। भारत यह संदेश देना चाहता है कि आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की नीतियों में सुधार नहीं हुआ तो भारत ऐसे और कदम उठा सकता है। इस कदम से पाकिस्तान को न केवल पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा, बल्कि यह उनके कृषि क्षेत्र को भी प्रभावित कर सकता है, जो बगलिहार बांध से प्राप्त पानी पर निर्भर था।

भारत का यह कदम पाकिस्तान के खिलाफ एक रणनीतिक जवाब है, जो पाकिस्तान को यह महसूस करवा सकता है कि जल संसाधनों का नियंत्रण केवल युद्ध का नहीं, बल्कि कूटनीतिक और राजनीतिक उपायों का भी हिस्सा हो सकता है। यह भारत के लिए एक कड़ा निर्णय है, जो सुरक्षा और कूटनीति के संयुक्त दृष्टिकोण को दर्शाता है।

भारत के बगलिहार बांध से पाकिस्तान को हर साल लगभग 450 क्यूसेक पानी की आपूर्ति होती थी। यह पानी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता था। बगलिहार बांध पर नियंत्रण रखने से भारत को इस पानी को अपने अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करने का अधिकार मिला है।
इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान को सिंधु जल समझौते के तहत चिनाब नदी, झेलम नदी और सिंधु नदी का पानी मिलता है, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान में कृषि, उद्योग और पीने के पानी के लिए किया जाता है। हालांकि, भारत ने केवल बगलिहार बांध से पाकिस्तान को जाने वाले पानी की आपूर्ति रोकने का निर्णय लिया है, लेकिन यह भी पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है।

सिंधु जल समझौते का इतिहास

सिंधु जल समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आयुब खान के बीच बातचीत के बाद यह समझौता साइन किया गया। इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच नदी जल के वितरण का निर्धारण किया गया, ताकि दोनों देशों के किसानों और नागरिकों को पानी की आवश्यकता पूरी हो सके।

समझौते के अनुसार, पाकिस्तान को चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों का पानी दिया गया, जबकि भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का पानी मिला। यह समझौता दोनों देशों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर विवादों से बचने के लिए महत्वपूर्ण था। इसके बावजूद, समय-समय पर इस समझौते को लेकर विवाद उत्पन्न होते रहे हैं, विशेष रूप से जब पाकिस्तान यह आरोप लगाता है कि भारत जानबूझकर पानी की आपूर्ति को प्रभावित कर रहा है।

भारत का रणनीतिक दृष्टिकोण

भारत का यह कदम पाकिस्तान के खिलाफ एक रणनीतिक निर्णय है, जो सुरक्षा के साथ-साथ कूटनीति और जल संसाधन प्रबंधन को भी ध्यान में रखता है। भारत यह संदेश देना चाहता है कि पानी केवल एक प्राकृतिक संसाधन नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक औजार भी हो सकता है। जब तक पाकिस्तान आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक भारत अपने जल संसाधनों का नियंत्रित उपयोग करेगा।

इस कदम से यह भी संकेत मिलता है कि भारत पाकिस्तान के साथ रिश्तों में सुधार के लिए तैयार है, लेकिन यह शर्त रखता है कि पाकिस्तान अपनी आतंकवादी नीतियों में बदलाव करेगा। भारत की यह नीति न केवल पाकिस्तान के खिलाफ है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक मजबूत संदेश भेजती है कि भारत अपने सुरक्षा हितों की रक्षा करने के लिए हरसंभव कदम उठाने के लिए तैयार है।

भारत द्वारा बगलिहार बांध से पानी की आपूर्ति रोकने के बाद पाकिस्तान की प्रतिक्रिया निश्चित ही तीव्र होगी। पाकिस्तान इस कदम को एक नकारात्मक इशारा मान सकता है, और इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच और अधिक तनाव हो सकता है। पाकिस्तान का यह कहना हो सकता है कि भारत एकतरफा तरीके से सिंधु जल समझौते का उल्लंघन कर रहा है, जबकि भारत का कहना होगा कि यह कदम आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तान के कमजोर रुख को चुनौती देने के लिए उठाया गया है।

पाकिस्तान पर इस कदम का असर आर्थिक और कृषि क्षेत्र पर पड़ सकता है। पाकिस्तान का कृषि क्षेत्र बगलिहार बांध से प्राप्त पानी पर बहुत अधिक निर्भर है, और इस पानी की आपूर्ति में रुकावट से वहां के किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

भारत का यह कदम न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। यह कड़ा संदेश देता है कि भारत अपने सुरक्षा हितों को प्राथमिकता देता है और आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तान के ढीले रुख को लेकर उसे चुनौती देने के लिए तैयार है। सिंधु जल समझौते का निलंबन और बगलिहार बांध से पानी की आपूर्ति रोकने का निर्णय भारत के लिए एक ऐतिहासिक और रणनीतिक कदम है, जो भविष्य में दोनों देशों के रिश्तों को नई दिशा में मोड़ सकता है।

यह स्थिति आने वाले समय में और अधिक कूटनीतिक और राजनीतिक विकास को जन्म दे सकती है, और दोनों देशों के बीच जल और सुरक्षा मुद्दों पर नए सिरे से बातचीत की आवश्यकता महसूस हो सकती है।

शरद कटियार
ग्रुप एडिटर
यूथ इंडिया न्यूज ग्रुप

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