37.9 C
Lucknow
Tuesday, April 29, 2025

पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक तनाव: अब चुप रहना नहीं, निर्णायक कार्रवाई की ज़रूरत

Must read

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने एक बार फिर देश को झकझोर दिया है। इस हमले में 25 निर्दोष नागरिकों की जान गई और दर्जनों घायल हुए। इस वीभत्स घटना की शैली और पूर्व खुफिया इनपुट साफ इशारा करते हैं कि इसके पीछे सीमा पार पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों का हाथ है।
यह कोई पहली घटना नहीं है। उरी (2016), पुलवामा (2019) और अब पहलगाम (2025)—हर हमले के पीछे पाकिस्तान का स्पष्ट भूमिका रही है, फिर चाहे वह सीधे सेना की शह से हो या उसकी “रणनीतिक गहराई” वाली नीतियों का परिणाम।

अब सवाल यह है कि क्या भारत फिर सिर्फ बयानबाजी करेगा या इस बार कोई ठोस जवाब देगा? भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को राजनयिक नोट सौंपा है, साथ ही तीन रक्षा सलाहकारों को निष्कासित किया गया है। लेकिन क्या यह पर्याप्त है? शायद नहीं।

भारत को अब अपनी नीति में स्पष्टता लानी होगी—कि हर आतंकी हमले की कीमत होगी। सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और एयर स्ट्राइक (2019) की तर्ज पर अब और भी निर्णायक, गहरी और रणनीतिक कार्रवाई की ज़रूरत है।
भारत सैन्य, आर्थिक और तकनीकी तीनों मोर्चों पर पाकिस्तान से कहीं आगे है। परंतु यह बढ़त तभी मायने रखती है जब हम उसका निर्णायक उपयोग करें।

1960 में हुई सिंधु जल संधि भारत के लिए अब सामरिक हथियार बन सकती है। भारत यदि पश्चिमी नदियों—झेलम, चिनाब और सिंधु—के प्रवाह पर नियंत्रण करता है तो पाकिस्तान की कृषि और पेयजल आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित होगी। यह एक ऐसा दांव है जिससे बिना एक गोली चलाए भी पाकिस्तान को झुका सकते हैं।

इन हालात में पाकिस्तान लंबे समय तक भारत से सैन्य टकराव नहीं कर सकता। उसे सिर्फ ‘परमाणु हथियार’ की धमकी देना आता है, परंतु वह जानता है कि भारत की रणनीतिक नीति ‘No First Use’ होते हुए भी जवाब इतना कठोर होगा कि पाकिस्तान को सदी पीछे धकेल देगा।

आज की स्थिति में भारत को अमेरिका, फ्रांस, जापान और रूस जैसे देशों का खुला या मौन समर्थन प्राप्त है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की दलीलों को गंभीरता से लिया जा रहा है। भारत की छवि अब एक शांति-प्रिय लेकिन आत्मरक्षा में सक्षम राष्ट्र की है।

देश का मीडिया इस मुद्दे पर एकजुट है। आमजन में गुस्सा है, लेकिन संयम भी है। सोशल मीडिया पर युद्ध की मांग ज़रूर तेज़ है, परंतु यह ज़रूरी है कि सरकार भावनाओं से नहीं, रणनीति और लक्ष्य के साथ आगे बढ़े।

पहलगाम हमला न केवल निर्दोष नागरिकों पर हमला है, बल्कि यह भारतीय संप्रभुता और सुरक्षा प्रतिष्ठानों की परीक्षा भी है। भारत यदि इस बार फिर सिर्फ निंदा और चेतावनी तक सीमित रहता है, तो यह न केवल भविष्य में और हमलों को न्यौता होगा, बल्कि हमारे वैश्विक दबदबे पर भी असर डालेगा।

भारत को अब तीन मोर्चों पर एक साथ कार्रवाई करनी चाहिए, सैन्य स्तर पर सीमित लेकिन सटीक जवाबी हमले।कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करना।आर्थिक और जल नीति स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव बनाना।

भारत अब वह देश नहीं रहा जो सिर्फ सहता है। यह नया भारत है—जो सहनशील तो है, परंतु अब मौन नहीं है।
यह समय सहानुभूति का नहीं, रणनीति का है। यह समय रोने का नहीं, सशक्त उत्तर देने का है। और यह उत्तर अब केवल भाषणों से नहीं, कार्यवाही से आना चाहिए।

Must read

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article