फर्रुखाबाद। सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में जारी होने वाले निर्माण संबंधित नोटिसों में गड़बड़झाले का खुलासा हुआ है। हाल ही में मशीनी चौराहा स्थित कमलेश शर्मा के अस्पताल को ध्वस्तकरण के लिए अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी, लेकिन उसके बाद संबंधित फाइल अचानक दबा दी गई।
गोपनीय सूत्रों की मानें तो एक युवा चिकित्सक द्वारा करीब 70 लाख रुपये की मध्यस्थता के बाद इस फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, जबकि नगर मजिस्ट्रेट संजय वंसल इससे अनभिज्ञ बने हुए हैं। दूसरी ओर, कार्यालय के कुछ कर्मियों द्वारा शहर भर में धड़ल्ले से नोटिस जारी किए जा रहे हैं और ‘ध्वस्तीकरण’ के नाम पर बिल्डिंग मालिकों को डराकर मोटा कमीशन वसूला जा रहा है।
धन्सुआ के पूर्व प्रधान अमीरचंद कटियार की बिल्डिंग का मामला भी कुछ ऐसा ही है। उनके भवन के दोस्तीकरण आदेश भी जारी हुए थे, लेकिन उनकी पत्रावली भी जानबूझकर दबा दी गई। इससे स्पष्ट होता है कि सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में नियमों की आड़ में जमकर गोलमाल किया जा रहा है।
पिछले 6 महीनों में नगर में 147 करीव नोटिस जारी किए गए, जिनमें से मात्र 53 पर ही कार्यवाही हुई। शेष 94 मामलों में या तो फाइलें लंबित हैं या फिर मध्यस्थता के बाद दबा दी गईं। सूत्रों के अनुसार, इस प्रक्रिया में अब तक करीब 3 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है।
नगर के जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस पूरे मामले की जांच की मांग की है। लोगों का कहना है कि यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में अवैध निर्माण पर नियंत्रण असंभव हो जाएगा।
अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस भ्रष्ट तंत्र पर शिकंजा कस पाएगा या फिर बिल्डिंग माफिया यूं ही सिस्टम को खरीदते रहेंगे?