अनुजा किसानो हेतु कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया एवं एन आरआईआईपीएम, नई दिल्ली की सयुंक्त पहल
आधुनिक यंत्रों का वितरण, अनुसूचित जाति उप-योजना के तहत किसानों को मिला तकनीक का साथ
कृषि आदान उपलब्धता से फसल लागत में आएगी कमी, श्रम एवं समय की होगी बचत
भाकृअनुप-राष्ट्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन अनुसंधान संस्थान (एनआरआईआईपीएम) के समन्वयन में कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया, सीतापुर द्वारा अनुसूचित जाति उप-योजना के अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सीतापुर जनपद के 26 गांवों से आए 91 किसानों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से अवगत कराना एवं उन्हें खेती में उपयोगी आवश्यक यंत्रों व जैविक आदानों की जानकारी और सुविधा प्रदान करना था। कार्यक्रम के दौरान किसानों को स्प्रे मशीन, तिरपाल, खर-पतवार नियंत्रण यंत्र, खुर्पी, ट्राइकोडर्मा, नीम ऑयल, फीरोमोन ट्रैप, सिकेटियर जैसे आधुनिक कृषि उपकरण एवं आदान वितरित किए गए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाकृअनुप-राष्ट्रीय एकीकृत कीट प्रबंधन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. मुकेश सहगल रहे, जिन्होंने किसानों को समन्वित कीट रोग प्रबंधन की नवीनतम विधियों के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने किसानों को कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग, जैविक कीट नियंत्रण विधियों और फसल की गुणवत्ता बढ़ाने के तरीकों पर भी मार्गदर्शन प्रदान किया। इसके अतिरिक्त, एनआरआईआईपीएम की प्रधान वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी डॉ. अंजंता बिरह ने जैविक खेती के महत्व और पर्यावरण-अनुकूल कृषि आदानों के प्रयोग पर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने किसानों को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं सतत कृषि की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
केन्द्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ दया एस श्रीवास्तव ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल यंत्र और आदान वितरित करना नहीं है, बल्कि किसानों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है, ताकि वे बदलते कृषि परिवेश में आत्मनिर्भर बन सकें।
कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों की आयवृद्धि और सतत कृषि की दिशा में एक सार्थक प्रयास है इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आय में वृद्धि हेतु अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान करते हुए धनवावाद ज्ञापित किया गया।