– सजातीय वोटरों में जबरदस्त पकड़, सादगी और मुस्कुराहट से जनता के दिलों में बनाई जगह
— रोहित श्रीवास्तव
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) में जिस तरह से जातिगत समीकरणों का महत्व रहा है, उसमें लोधी समाज की भूमिका हमेशा प्रभावी रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बाद अब सांसद मुकेश राजपूत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की पहली पसंद बनते जा रहे हैं। उनकी लोकप्रियता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को प्रभावित कर रही है।
मुकेश राजपूत की लोधी समाज में जबरदस्त पैठ है। फर्रुखाबाद, कन्नौज, एटा, बदायूं, हरदोई और आसपास के जिलों में लोधी समाज के 10-12% वोटर बीजेपी के लिए निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2014 और 2019 में बीजेपी को इन सीटों पर बड़ी सफलता मिली, जिसमें मुकेश राजपूत का अहम योगदान रहा।
मुकेश राजपूत की सादगी भरी छवि और मुस्कान उन्हें जनता के करीब लाती है। वे अक्सर अपने क्षेत्र में बिना किसी तामझाम के लोगों से मिलते हैं, जिससे वे आम जनता के नेता बनते जा रहे हैं। चाय की दुकान पर बैठकर चर्चा करना, गरीबों की मदद करना और हर वर्ग से सहजता से जुड़ना उनकी पहचान बन चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सादगी, सेवा और जनता से जुड़ाव को प्राथमिकता देते हैं। यही गुण मुकेश राजपूत में भी हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में BJP उन्हें यूपी की राजनीति में और बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।
आंकड़ों में मुकेश राजपूत की ताकत:2014 लोकसभा चुनाव: 4,92,276 वोट (55.35%),2019 लोकसभा चुनाव: 5,32,904 वोट (57.42%), लोधी समाज की जनसंख्या: फर्रुखाबाद में करीब 1.75 लाख, पूरे बुंदेलखंड और आसपास के जिलों में 25-30 लाख,बीजेपी को मिली सीटें: 2014 में 71, 2019 में 62 (लोधी वोटरों की अहम भूमिका)
BJP की रणनीति जातिगत संतुलन और विनिंग कैंडिडेट पर आधारित होती है। 2024 के चुनावों में भी मुकेश राजपूत का प्रभाव साफ दिखा, जिससे पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उन्हें यूपी में और बड़ी जिम्मेदारी देने की सोच रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बाद लोधी समाज का सबसे बड़ा चेहरा अब मुकेश राजपूत बनते जा रहे हैं। उनकी सादगी, लोकप्रियता और जातिगत पकड़ उन्हें बीजेपी की पहली पसंद बना रही है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उनकी बढ़ती छवि को भुनाने के लिए जल्द ही बड़ा फैसला ले सकता है।