नोएडा के सेक्टर 16 स्थित कार मार्केट में हाल ही में हुई एक घटना ने शहर में सड़क सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक थार चालक द्वारा सड़क पर गलत दिशा में तेज रफ्तार में गाड़ी चलाते हुए जानलेवा स्टंट (Stunt) करने और राहगीरों को टक्कर मारकर फरार होने की घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस मामले ने एक बार फिर से नोएडा में तेज रफ्तार वाहनों, स्टंटबाजों और सड़क सुरक्षा उपायों की स्थिति को उजागर किया है।
पिछले कुछ वर्षों में नोएडा और अन्य मेट्रो शहरों में महंगी और ताकतवर गाड़ियों पर स्टंट करने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। यह ट्रेंड मुख्य रूप से युवाओं में देखने को मिलता है, जो रफ्तार और रोमांच की खोज में अपनी और दूसरों की जान जोखिम में डालते हैं। सोशल मीडिया ने इस प्रवृत्ति को और हवा दी है, जहां वायरल वीडियो और लाइक्स के चक्कर में लोग कानून और जिम्मेदारी को ताक पर रख देते हैं।
इस घटना में भी देखा गया कि थार चालक ने पहले सड़क पर स्टंट किया और फिर बाइक व स्कूटी सवारों को टक्कर मारकर फरार हो गया। यह केवल एक लापरवाही भरी हरकत नहीं थी, बल्कि जानबूझकर की गई एक खतरनाक हरकत थी, जो न केवल संबंधित लोगों बल्कि आम जनता की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करती है।
इस तरह की घटनाएं बार-बार इसलिए सामने आ रही हैं क्योंकि प्रशासन और पुलिस की ओर से इन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। नोएडा जैसे शहर में जहां सैकड़ों सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, वहां भी स्टंटबाज सड़क पर खुलेआम अपनी मनमानी कर रहे हैं। पुलिस केवल घटना के बाद जांच की बात करती है, लेकिन पहले से ऐसे मामलों को रोकने के लिए कोई सक्रिय योजना नजर नहीं आती।
अगर इस घटना के संदर्भ में देखें तो पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगालने की बात कही है और आरोपी की तलाश जारी है। लेकिन सवाल यह उठता है कि नोएडा पुलिस ने पहले से इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए क्या कदम उठाए? अगर समय रहते ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाता और स्टंटबाजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती, तो शायद यह घटना टाली जा सकती थी।
आजकल सोशल मीडिया का प्रभाव इतना बढ़ गया है कि लोग अपने दोस्तों और फॉलोअर्स को प्रभावित करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। महंगी गाड़ियों पर स्टंट करने और इनकी वीडियो बनाकर शेयर करने का चलन तेजी से बढ़ा है। कई बार इन स्टंटबाजों को फिल्मी दृश्यों से प्रेरणा मिलती है, जहां नायक बिना किसी नियम की परवाह किए रफ्तार से गाड़ी चलाता है और खतरनाक स्टंट करता है।
इसके अलावा, ड्राइविंग के दौरान लापरवाही और नशे का सेवन भी इस तरह की घटनाओं के पीछे एक बड़ा कारण बनता जा रहा है। कई मामलों में देखा गया है कि स्टंटबाजी करने वाले युवा शराब या नशीले पदार्थों के प्रभाव में होते हैं, जिससे वे अपनी सुध-बुध खो बैठते हैं और जानलेवा हादसे कर बैठते हैं।
भारत में ट्रैफिक कानून सख्त हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन बेहद कमजोर है। 2019 में लागू किए गए नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगाया गया था। इसके बावजूद, लोग कानून का पालन करने के बजाय इससे बचने के तरीके खोजते रहते हैं।
अगर अमेरिका और यूरोपीय देशों की तुलना करें, तो वहां सड़क सुरक्षा को लेकर बेहद सख्त कानून हैं। उदाहरण के लिए, जर्मनी में अगर कोई व्यक्ति सड़क पर स्टंट करता या गलत दिशा में गाड़ी चलाता पकड़ा जाता है, तो उसका लाइसेंस तत्काल रद्द कर दिया जाता है और उस पर भारी जुर्माना लगता है। भारत में भी ऐसी ही सख्ती की जरूरत है, ताकि लोग कानून का सम्मान करें और दूसरों की सुरक्षा से खिलवाड़ न करें।
स्टंटबाजी को केवल कानूनी और प्रशासनिक समस्या के रूप में देखने की बजाय इसे एक सामाजिक विकृति के रूप में भी समझने की जरूरत है। जब कोई व्यक्ति सड़क पर स्टंट करता है और उसका वीडियो वायरल होता है, तो उसे महज एक मनोरंजक घटना मान लिया जाता है। लोग इसे देखकर प्रभावित होते हैं और कई युवा भी इसे दोहराने की कोशिश करते हैं।
जरूरत इस बात की है कि स्कूलों और कॉलेजों में ट्रैफिक नियमों की अनिवार्य शिक्षा दी जाए। युवाओं को यह बताया जाए कि स्टंटबाजी न केवल उनकी जिंदगी बल्कि दूसरों की जिंदगी के लिए भी खतरनाक है। इसके अलावा, माता-पिता को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों को गाड़ी चलाने से पहले ट्रैफिक नियमों की पूरी जानकारी दें और उन पर कड़ी नजर रखें।
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन, पुलिस, समाज और परिवार को मिलकर काम करने की जरूरत है। कुछ ठोस कदम इस प्रकार हो सकते हैं: सीसीटीवी निगरानी बढ़ाई जाए: शहर में प्रमुख चौराहों और बाजारों में और अधिक हाई-रिज़ॉल्यूशन सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, ताकि स्टंटबाजों को तुरंत पकड़ा जा सके। स्टंटबाजी करने वालों के ड्राइविंग लाइसेंस को स्थायी रूप से रद्द करने और भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया जाए। पुलिस को चाहिए कि वह सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले ऐसे वीडियो पर नजर रखे और आरोपी को तुरंत गिरफ्तार करे।स्कूलों, कॉलेजों और सोसाइटीज़ में ट्रैफिक अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित किए जाएं, ताकि युवा सड़क सुरक्षा के महत्व को समझें। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को यह सिखाएं कि गाड़ी चलाना एक जिम्मेदारी है, न कि मनोरंजन का साधन।
नोएडा में हुई यह घटना केवल एक अकेली घटना नहीं है, बल्कि एक बड़े खतरे का संकेत है। जब तक प्रशासन, पुलिस और समाज मिलकर इस समस्या का हल नहीं निकालते, तब तक ऐसे स्टंटबाजों पर लगाम लगाना मुश्किल होगा। हमें यह समझना होगा कि सड़कें स्टंट दिखाने की जगह नहीं हैं, बल्कि ये लोगों की सुरक्षा के लिए बनाई गई हैं। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है।