भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Mohan Yadav) ने कहा है कि मध्यप्रदेश अपने समृद्ध टैक्सटाइल और परिधान उद्योग के कारण एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में उभर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि प्रदेश की कृषि समृद्धि, पारंपरिक बुनकर समुदायों की उत्कृष्ट कला, आधुनिक औद्योगिक आधार और निवेशक-अनुकूल नीतियां राज्य में टैक्सटाइल सेक्टर को सशक्त बना रही हैं।
जीआईएस-भोपाल का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश को देश की ‘कॉटन कैपिटल’ घोषित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश देश का सबसे बड़ा कपास उत्पादक राज्य है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने राज्य की प्रसिद्ध चंदेरी और माहेश्वरी साड़ियों, बाघ प्रिंट, छीपा हैंड-ब्लॉक प्रिंट और बटिक प्रिंट की प्रशंसा की।
उन्होंने यह भी बताया कि देश के सात बड़े टैक्सटाइल पार्कों में से एक मध्यप्रदेश में स्थापित किया जा रहा है। भोपाल में राज्य सरकार के प्रयासों से देश-विदेश के निवेशकों ने रुचि दिखाई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की है कि मध्यप्रदेश भारत के टैक्सटाइल और एपैरल हब के रूप में स्थापित हो रहा है।
जीआईएस भोपाल में टैक्सटाइल निवेश को बढ़ावा
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट भोपाल में टैक्सटाइल उद्योग में निवेश को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिला। प्रदेश में एमएसएमई क्षेत्र के लिए 21 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव में अधिकांश टैक्सटाइल उद्योग को प्राप्त है। इससे युवाओं के लिये 1.3 लाख से अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उद्योग और निवेश संवर्धन विभाग के अंतर्गत 8,616 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित हुआ है। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 60 से अधिक बड़ी टैक्सटाइल मिलें संचालित हैं। साथ ही इंदौर के रेडीमेड गारमेंट और अपैरल क्लस्टर में 1,200 से अधिक इकाइयां उत्पादन कर रही हैं।
नवीन टैक्सटाइल नीति-2025 से उद्योगों को मिल रहा प्रोत्साहन
मध्यप्रदेश सरकार ने टैक्सटाइल उद्योग के लिए नई नीति लागू की है, जिसमें निवेशकों को कई वित्तीय और गैर वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किए जा रहे हैं। नीतिगत प्रावधानों में प्लांट और मशीनरी में किए गए निवेश पर 10 से 40% तक की राशि निवेश संवर्द्धन सहायता के रूप में उद्यमियों को दी जाएगी। इस पर 5 से 7% तक ब्याज अनुदान भी 5 वर्ष तक दिया जाएगा।
इकाइयों में बिजली, पानी और सड़क अधोसंरचना निर्माण के के लिए 1 करोड़ रुपये तक की सहायता दी जाएगी। साथ ही इकाइयों के परिसर में कचरा प्रबंधन प्रणाली के लिए 1 करोड़ रुपये तक की ग्रीन इंडस्ट्रियलाइजेशन सब्सिडी भी दी जाएगी। एपैरल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खोलने पर 50 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। पहली बार 5 लाख रुपये तक के पेटेंट शुल्क की 100% वापसी, पेटेंट मिल जाने पर दी जाएगी, साथ ही पेटेंट प्रक्रिया में भी सरकार आवश्यक सहायता करेगी।