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Monday, September 15, 2025

जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने लगाई अमित शाह को फटकार, जानें पूरा मामला

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प्रयागराज । श्रीगोवर्धनमठ पुरी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Jagadguru Shankaracharya Swami Nischalananda Saraswati) ने कहा कि अंग्रेजों और मुसलमानों ने लंबे समय तक भारत पर शासन किया, लेकिन आतंकवादी को शंकराचार्य नहीं बनाया। अब तो जगद्गुरुओं और नकली शंकराचार्यों की भरमार है। उन्होंने कहा कि मॉरीशस सहित कई देशों में एक आतंकवादी को पुरी का नकली शंकराचार्य बनाकर घुमाया गया। आरएसएस के कार्यालय में ठहराया गया। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि मैं किसी को डराता नहीं हूं। व्यास पीठ का कोई भी आचार्य हो, शासन तंत्र का अनुगामी बने, नहीं तो हम रहने नहीं देंगे।

उन्होंने कहा कि परंपरा प्राप्त शंकराचार्य होने चाहिए, जिनका कोई व्यक्ति अनुगमन करे तो धर्म लाभ प्राप्त कर सके। मुझे एक करोड़ आतंकवादी और अराजकतत्व घेरेंगे, तब भी डर नहीं है। बता दें कि पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह मेरे पास आए थे। जब मैंने इस विषय पर बात की तो उन्होंने कहा कि आपके पास ही तो आता हूं। मैंने कहा कि नकली को खड़ा करते हो और कहते हो कि मेरे पास ही आते हो। यह कूटनीति है।

जब अमित शाह महाकुंभ आए हुए थे तब वे पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी के पास उनका मार्गदर्शन लेने पहुंचे। शंकराचार्य ने उन्हें आशीर्वाद दिया। इसी बीच नकली शंकराचार्य को लेकर स्वामी अमित शाह को फटकारते दिखे। वे शाह को लाड के साथ समझाते हुए नजर आ रहे हैं। शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के मुताबिक एक नकली शंकराचार्य (अधोक्षानंद देवतीर्थ) को देश में घुमाया जा रहा है। जिन्हें गनर भी दिए हैं। स्वामी निश्चलानंद लगातार ये कहते रहे हैं कि ‘आतंकवादी को नकली शंकराचार्य बनाकर घुमाया जा रहा है’।

‘ये हंस मजाक नहीं है…’

आचार्य नकली शंकराचार्य को लेकर अमित शाह से कह रहे हैं कि ‘ये हंसी मजाक नहीं है। इस पर शाह कह रहे हैं कि ‘महराज जी कोई नकली शंकराचार्य के पास नहीं जाते सब आपके पास आते हैं। हम भी आपके पास आते हैं’। इस पर निश्चलानंद जी ने कहा कि ‘यही तो कूटीति है’। इस पर शाह ने तुरंत कहा कि ‘कूटनीति नहीं है’।

क्या है नकली शंकराचार्य का विवाद?

बता दें कि जगद्गुरु भगवान आदि शंकराचार्य जी के द्वारा चार मठ स्थापित किए गए थे। जो ज्योतिष्पीठ, गोवर्धनपीठ, शारदापीठ और शृंगेरीपीठ के नाम से जाने जाते हैं। यहां पर विद्यमान आचार्य शंकराचार्य कहलाते हैं। ये पूरा विवाद गोवर्धन मठ को लेकर है। जहां वर्तमान में स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी इस पीठ के 145वें शंकराचार्य हैं। आदि शंकराचार्य द्वारा रचित मठाम्नाय महानुशासन (जिसमें चारों पीठों के लिए नियम निर्धारित हैं) के अनुसार देश के चार कोनों में चार मठ स्थापित हैं। जो उत्तराखंड के जोशीमठ (ज्योतिष्पीठ), ओडिशा के पुरी (गोवर्धनपीठ), गुजरात के द्वारका (शारदापीठ) और कर्नाटक के चिकमंगलूर (शृंगेरीपीठ) में स्थित है।

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