नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षा में बैठने के नियमों को कड़ा कर दिया है। 2025 की परीक्षाओं के लिए 75% उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। बोर्ड ने चेतावनी दी है कि जो छात्र नियमित कक्षाओं में नहीं जाएंगे, उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी।
CBSE ने उन स्कूलों के खिलाफ भी सख्त रुख अपनाया है जो डमी स्कूल प्रणाली को बढ़ावा देते हैं। कई छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए ऐसे स्कूलों में नामांकन कराते हैं लेकिन नियमित कक्षाओं में शामिल नहीं होते। CBSE ने साफ किया है कि ऐसे छात्रों को अब NIOS (राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान) की परीक्षा देनी होगी और वे सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे।
बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि कुछ विशेष मामलों में छात्रों को छूट मिल सकती है। यदि कोई छात्र गंभीर बीमारी, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भागीदारी या अन्य महत्वपूर्ण कारणों से अनुपस्थित रहता है, तो उसे 25% तक की छूट दी जाएगी। इसके लिए अभिभावकों को संबंधित दस्तावेज जमा करने होंगे।
CBSE ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे छात्रों की उपस्थिति का सटीक रिकॉर्ड रखें और सुनिश्चित करें कि प्रत्येक छात्र कक्षाओं में नियमित रूप से भाग ले। साथ ही, बोर्ड के अधिकारी औचक निरीक्षण भी कर सकते हैं और जो स्कूल अनुपस्थित छात्रों को परीक्षा में शामिल करने की कोशिश करेंगे, उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है।
CBSE की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं फरवरी 2025 से शुरू होने की संभावना है। छात्रों को सलाह दी गई है कि वे अपनी उपस्थिति 75% से अधिक रखें और परीक्षा की तैयारी में जुट जाएं।
बोर्ड के इस नए नियम का मकसद शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना और छात्रों को कक्षा में अधिक सक्रिय बनाना है, जिससे उनका समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके।