उत्तर प्रदेश के 70 हजार वक्फों के मुतवल्ली लापता, 37 साल से संपर्क विहीन; बोर्ड के सामने बड़ी चुनौती

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लखनऊ| उत्तर प्रदेश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर एक गंभीर स्थिति सामने आई है। प्रदेश के करीब 70 हजार वक्फों के मुतवल्लियों का कोई पता-ठिकाना नहीं है। यह जानकारी खुद वक्फ बोर्ड के पास भी नहीं है कि इतने बड़े पैमाने पर मुतवल्ली जिंदा हैं या नहीं। बोर्ड के रिकॉर्ड में इन मुतवल्लियों के नाम लगभग 37 साल पहले दर्ज किए गए थे, लेकिन उसके बाद से इनमें से अधिकांश ने कभी भी बोर्ड से संपर्क नहीं किया।

प्रदेश में वक्फ संपत्तियों का विस्तृत सर्वे कराने के लिए नवंबर 1976 में शासनादेश जारी हुआ था। वर्ष 1977 में तत्कालीन सरकार ने सर्वे वक्फ कमिश्नर विभाग का गठन किया और 1977 से 1988 तक पूरे प्रदेश में अवकाफ का सर्वे कराया। वर्ष 1988 में गजट में इन संपत्तियों को दर्ज किया गया। इसके अनुसार बोर्ड के दफा 37 रजिस्टर में 1,11,418 संपत्तियां दर्ज की गई थीं। कुछ समय बाद सर्वे वक्फ विभाग ने अपने स्तर से पुनः सर्वे कराकर कुल 1,33,785 अवकाफ दर्ज किए।

वर्तमान स्थिति के अनुसार उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में लगभग 1,26,000 और उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में करीब 7,785 संपत्तियां पंजीकृत हैं। इतनी बड़ी संख्या होने के बावजूद करीब 80% सुन्नी और लगभग 40% शिया वक्फों के मुतवल्लियों ने पिछले तीन दशकों में बोर्ड से कोई संपर्क नहीं रखा, जिससे इन संपत्तियों के प्रबंधन और सत्यापन में भारी दिक्कतें आ रही हैं।

सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी के अनुसार उम्मीद पोर्टल पर वक्फ पंजीकरण अनिवार्य होने के बाद सबसे बड़ी चुनौती इन 60–70 हजार वक्फों के मुतवल्लियों से संपर्क करना है। उन्होंने बताया कि इनमें से अधिकांश वे वक्फ हैं जिनकी कोई नियमित आय नहीं है और जिनके मुतवल्ली 37 साल पहले नामित हुए थे। फारूकी ने यह भी कहा कि इतने पुराने रिकॉर्ड होने के कारण इस बात की संभावना कम है कि अधिकांश मुतवल्ली आज जीवित हों। समस्या के समाधान के लिए बोर्ड ने जिलावार वक्फों की सूची, गजट की प्रतियां और संबंधित दस्तावेज अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिए हैं, ताकि परिजनों या संबंधित लोगों को जानकारी मिल सके।

शिया वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी जीशान रिजवी ने बताया कि उनके बोर्ड के अंतर्गत भी करीब 2–3 हजार वक्फों के मुतवल्ली कार्यालय के संपर्क में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पुराने मुतवल्लियों का रिकॉर्ड खोजना, वारिसों की पहचान करना और संपत्तियों की स्थिति की जांच करना एक लंबी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है।

प्रदेश में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, पारदर्शी प्रबंधन और डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने के लिए बोर्ड अब तेजी से कार्रवाई कर रहा है, ताकि हजारों संपत्तियों का भविष्य सुरक्षित रखा जा सके।

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