बीजापुर: Chhattisgarh के Bijapur जिले में बुधवार को 30 नक्सलियों (Naxalites) ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें से 20 लोगो पर कुल 79 लाख रुपये का इनाम था। पुलिस अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि इन कार्यकर्ताओं में नौ महिलाएं भी शामिल हैं। बीजापुर के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि उन्होंने वरिष्ठ पुलिस और सीआरपीएफ अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
पुलिस अधीक्षक ने बताया आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों में सोनू हेमला उर्फ कोरोटी भी शामिल है, जो एक डिवीजनल कमेटी सदस्य और माओवादियों के केके सब-डिवीजन ब्यूरो का प्रभारी था और 2003 से सक्रिय था। उस पर और उसकी पत्नी सुकड़ी गावड़े पर क्रमशः ₹8 लाख और ₹2 लाख का इनाम था।अन्य सदस्यों में दो प्लाटून पार्टी समिति सदस्य, जिनकी पहचान कल्लू पुनेम और कोसी कुंजम के रूप में हुई है, पार्टी सदस्य मोती पुनेम और पांडे पुनेम, और पीएलजीए कैडर छोटू कुंजम शामिल हैं, जिन पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था।
आत्मसमर्पण करने वाले दो कार्यकर्ताओं पर 5-5 लाख रुपये का इनाम था, जबकि नौ अन्य पर 2-2 लाख रुपये का इनाम था। उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले दो और कार्यकर्ताओं पर 50-50,000 रुपये का इनाम था। इस ताज़ा घटना के साथ, जनवरी से अब तक बीजापुर ज़िले में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या बढ़कर 307 हो गई है।
यादव ने दावा किया कि माओवादियों ने “खोखली” माओवादी विचारधारा, आदिवासियों पर अत्याचार और आंतरिक कलह से मोहभंग होने के बाद आत्मसमर्पण किया है। पुलिस ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली राज्य सरकार की ‘नियाद नेल्लनार’ योजना और राज्य सरकार की नई आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से भी प्रभावित थे।
इसके अलावा, बस्तर पुलिस ने हथियार डालने वाले नक्सलियों के लिए “पूना मरघम पुनर्वास पहल” शुरू की है। सभी आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को ₹50,000-₹50,000 की सहायता प्रदान की गई। राज्य पुलिस की विभिन्न इकाइयों, सीआरपीएफ की 199वीं, 170वीं और 85वीं बटालियनों तथा कोबरा की 202वीं बटालियन ने आत्मसमर्पण में विशेष भूमिका निभाई। पुलिस अधीक्षक ने कहा, “कई माओवादी ‘नियाद नेल्लानार’ और राज्य सरकार की नई आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण कर रहे हैं।”


