कानपुर: कानपुर की धरती इन दिनों प्रशासनिक महाभारत का अखाड़ा बनी हुई है। जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच चल रही तनातनी अब खुलकर सामने आ चुकी है और यह विवाद अब सियासी जामा पहन चुका है।
जिले की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं, सीएचसी पीएचसी में गड़बड़ी, और डॉक्टरों के तबादले में कथित मनमानी को लेकर डीएम ने सीएमओ की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए और शासन को कार्रवाई की संस्तुति भेज दी। तभी आग में घी डालने का काम किया तीन ऑडियो क्लिप्स ने जिनमें सीएमओ जैसे आवाज वाला व्यक्ति डीएम के खिलाफ आपत्तिजनक बातें करता सुनाई देता है, और पैसों के खेल की भी चर्चा होती है।
सीएमओ ने सफाई दी कि यह आवाज उनकी नहीं, बल्कि ए आई से बनाई गई नकली क्लिप्स हैं। जवाब न मिलने पर डीएम ने उन्हें मीटिंग से बाहर निकाल दिया। अब यह प्रशासनिक विवाद बीजेपी के गलियारों तक पहुंच गया है।
एक तरफ विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, एमएलसी अरुण पाठक और विधायक सुरेंद्र मैथानी जो डॉ. नेमी के समर्थन में खुलकर सामने आए हैं और उनके सहज व्यवहार और सेवा भावना की तारीफ कर रहे हैं बही दूसरी तरफ बिठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा जिन्होंने सीएमओ पर भ्रष्टाचार, बदसलूकी और ट्रांसफर पोस्टिंग में धांधली के आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग कर दी है।
अब सभी की नजरें टिकी हैं वायरल ऑडियो की जांच पर क्या ये क्लिप्स असली हैं? या वाकई ए आई से बनाई गई साजिश? सच जो भी हो, इस लड़ाई ने कानपुर की सियासत और प्रशासन, दोनों को झकझोर कर रख दिया है।
सवाल वही असली दोषी कौन? और क्या बीजेपी इस अंदरूनी बिखराव से खुद को बचा पाएगी?