सोलह संस्कारों में विवाह संस्कार अति महत्वपूर्ण पूर्ण: अरुण गोस्वामी

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फर्रुखाबाद। मानस सम्मेलन में पंडाबाग में रामजानकी विवाह में मानस विद्वानों ने कहा कि वर्तमान समय में भारतीय विवाह में विवाह संस्कार लुप्त हो रहे हैं परिवार और समाज विकृत हो रहे हैं परिवार और संस्कृति को बचाने के लिए मानस के संदेशों आदर्श पर जोर दिया।
कहा गया कि सनातन धर्म की परंपरा में शिव विवाह एवं राम विवाह की जो परंपरा चली आ रही है ।
झांसी से पधारे मानस मर्मज्ञ अरुण गोस्वामी ने तुलसी के मानस ग्रंथ में चार विवाहो का उल्लेख किया है शिव विवाह, श्री राम विवाह जो ऋषियों द्वारा संपन्न कराया गया को आदर्श विवाह बताया क्षं।दो विवाह ऐसे हुए जो असफल रहे नारद विवाह और सूपनखा विवाह जो संस्कारों से दूर रहे। दतिया मध्य प्रदेश सेआई ।
मानस कोकिला श्रीमती संध्या दीक्षित ने लोकगीत एवं तुलसीदास की मानस की चौपाइयों द्वारा सीताराम जी का विवाह का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि श्रीराम का सीता से विवाह निश्चित हुआ तब सीता ने श्रीराम के गले में जयमाला डाली, गीत प्रस्तुत किया झुक जइयो तनिक रघुवीर लली मेरी छोटी सी। श्री राम का विवाह सीता से, लक्ष्मण का विवाह उर्मिला से, भरत के विवाह मांडवी से, शत्रुघ्न के विवाह श्रुतकीर्ति से संपन्न हुआ। दुर्ग छत्तीसगढ़ से पधारे पंडित पीलाराम शर्मा ने भी राम कथा में प्रवचन किया।इस मौके पर श्रीमती संध्या दीक्षित,कुमारी आस्था शर्मा विजयलक्ष्मी रजनी लौंगनी, स्मृति, अलम्या आदि ने विवाह गीत, श्रीरामजी की बारात मिथिला चली, राघवेंद्र श्रीराम दूल्हा बने, आज मिथिला नगरिया निहाल हो गई सखिया गावे मंगल गीत।संचालन पंडित रामेंद्रनाथ मिश्रा एवं तबले पर संगत पंडित नंदकिशोर पाठक ने दी।इस मौके पर सुरजीत पाठक बंटू ,अशोक रस्तोगी, आलोक गौड़, विशेष पाठक, ज्योति स्वरूप अग्निहोत्री अनुराग सक्सेना आदि सैकड़ों मानस श्रोतागण मौजूद रहे।

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