नई दिल्ली: भारतीय लोकतंत्र (indian democracy) एवं विश्व इतिहास (world history) में 14 मई एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। 1954 में आज ही के दिन, तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जी.वी. मावलंकर ने यह ऐतिहासिक घोषणा की थी कि ‘House of the People’ को अब ‘लोकसभा’ के नाम से जाना जाएगा।
‘लोकसभा’ संविधान के प्रति निष्ठा, जनता की आकांक्षाओं और राष्ट्रहित में लिये गए निर्णयों की सजीव संस्था है। देश की नीतियों की दिशा, जनहित के विधानों का निर्माण और लोकतांत्रिक विमर्श की सबसे प्रामाणिक भूमि यही लोकसभा है। यह वह मंच है जहाँ भारत की विविधता एकता में बदलती है, और जहाँ हर नागरिक की आवाज़, विचार और अधिकार को प्रतिनिधित्व मिलता है।
‘लोकसभा’ केवल एक सदन नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है। इस दिन को याद करना भारत की लोकतांत्रिक परंपरा के प्रति आदर भाव प्रकट करना है।