लखनऊ नारकोटिक्स विभाग के तीन निरीक्षकों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। 10 लाख रुपये की घूसखोरी के मामले में गिरफ्तार किए गए इन तीनों निरीक्षकों की अब CBI बारीकी से संपत्तियों की जांच-पड़ताल कर रही है।
जानकारी के अनुसार, नारकोटिक्स विभाग के निरीक्षक रवि रंजन, महिपाल सिंह और आदर्श पर आरोप है कि उन्होंने लखनऊ स्थित देवा नर्सिंग होम के संचालक से 10 लाख रुपये की रिश्वत वसूली थी।
CBI की टीम ने शिकायत के आधार पर जाल बिछाकर इन तीनों को रंगे हाथों पकड़ा था और गिरफ्तार कर लिया था।
गिरफ्तारी के बाद अब CBI इन अधिकारियों की चल-अचल संपत्तियों का पूरा ब्यौरा जुटा रही है। एजेंसी यह पता लगाने में जुटी है कि कहीं इन्होंने भ्रष्टाचार से अर्जित रकम को जमीन, मकान, बैंक खातों या अन्य माध्यमों से तो नहीं छिपाया है।
सूत्रों के मुताबिक, CBI जल्द ही तीनों आरोपियों और इनके नजदीकी रिश्तेदारों की संपत्ति का भी बेनामी लेन-देन खंगालेगी।
CBI को शक है कि यह कोई संगठित वसूली नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है। एजेंसी की जांच इस दिशा में भी चल रही है कि क्या इन निरीक्षकों ने अन्य अस्पतालों, नर्सिंग होम्स या मेडिकल संस्थानों से भी इस तरह की वसूली की है।
नारकोटिक्स विभाग के भीतर इस कार्रवाई से भारी हड़कंप मच गया है। विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी अब CBI की रडार पर हैं। वहीं, विभागीय सूत्र मानते हैं कि यह कार्रवाई आने वाले समय में और बड़े खुलासे करा सकती है। घूसखोरी के इस हाई-प्रोफाइल केस में CBI की पड़ताल ने साफ कर दिया है कि अब भ्रष्टाचार पर एजेंसी सख्त रुख अपनाए हुए है।
लखनऊ समेत प्रदेशभर के अन्य विभागों में भी “नारकोटिक्स निरीक्षकों की तरह और कौन-कौन CBI के घेरे में आ सकता है” – यह सवाल अब हर अफसर के बीच चर्चा का विषय बन गया है।