प्रशांत कटियार ✍️
नव वर्ष का आगमन हमेशा नई उम्मीदों और संकल्पों के साथ होता है। यह वह समय है जब लोग अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लेते हैं। परंतु, हर साल की तरह, हम देखते हैं कि पिछले संकल्पों की तरह ये भी जल्दी ही भुला दिए जाते हैं। अक्सर, संकल्प एक उत्साह से शुरू होते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में उनकी चमक फीकी पड़ जाती है। पारंपरिक संकल्पों की सूची में आमतौर पर सुबह जल्दी उठना, कसरत करना, या किसी न किसी तरह से अपने जीवन में सुधार करने के वादे शामिल होते हैं। ये सभी संकल्प अच्छे हैं, लेकिन अक्सर इनका पालन नहीं हो पाता। ऐसे में, नए साल में नए तरह के संकल्पों को अपनाने का विचार दिलचस्प लगता है।
आज हम जिस डिजिटल युग में जी रहे हैं, वहां सोशल मीडिया हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। लोग अपनी दिनचर्या, विचार और भावनाएं साझा करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का सहारा लेते हैं। लेकिन क्या यह हमेशा सकारात्मक होता है? क्या हम अपने समय और ऊर्जा को सही तरीके से उपयोग कर रहे हैं?
इस वर्ष, नए प्रकार के संकल्पों की पेशकश की गई है, जो न केवल व्यक्तिगत जीवन में सुधार लाने का प्रयास करते हैं, बल्कि डिजिटल दुनिया में भी संतुलन बनाने का प्रयास करते हैं। जैसे कि फेसबुक और व्हाट्सएप का सीमित उपयोग, ये संकल्प न केवल मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि पारिवारिक रिश्तों को भी मजबूत करने में मदद कर सकते हैं।
नए संकल्पों का यह पैटर्न हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपने समय का सदुपयोग कैसे कर सकते हैं। हमें यह समझना होगा कि जीवन केवल भौतिक और सामाजिक गतिविधियों में नहीं, बल्कि अपने आप को और अपने प्रियजनों को गुणवत्ता समय देने में है।
इस नव वर्ष में, चलिए हम सभी एक नया कदम उठाते हैं। पारंपरिक संकल्पों को छोड़कर, अपने डिजिटल व्यवहार को नियंत्रित करने का संकल्प लेते हैं। यह न केवल हमें मानसिक शांति देगा, बल्कि हमारे परिवार और दोस्तों के साथ वास्तविक संबंधों को भी मजबूत करेगा।
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इए, इस नव वर्ष में हम अपने संकल्पों को सार्थक बनाएं और जीवन को एक नई दिशा देने का प्रयास करें।
लेखक दैनिक यूथ इंडिया के स्टेट हेड हैं।